Hindi – SAWM Sisters https://dev.sawmsisters.com South Asian Women in Media Fri, 23 Dec 2022 17:28:28 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.2 https://dev.sawmsisters.com/wp-content/uploads/2022/08/sawm-logo-circle-bg-100x100.png Hindi – SAWM Sisters https://dev.sawmsisters.com 32 32 बच्चों में खसरा का बढ़ता खतरा https://dev.sawmsisters.com/increasing-rate-of-measles-threatening-childrens/ Fri, 23 Dec 2022 17:28:28 +0000 https://sawmsisters.com/?p=6032 पिछले कुछ साल में महामारी ने हम सब के जीवन को बदल दिया है। हमारी दुनिया एक विशाल मुर्दा घरों में तब्दील हो गई थी । शायद ये नया साल हमारे जीवन को भय, दुख, अमानवीयता और बीमारी के निष्ठुर हमले से बचा ले। हमें उन अंधेरों से निकल लें।]]>

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पिछले कुछ साल में महामारी ने हम सब के जीवन को बदल दिया है। हमारी दुनिया एक विशाल मुर्दा घरों में तब्दील हो गई थी । शायद ये नया साल हमारे जीवन को भय, दुख, अमानवीयता और बीमारी के निष्ठुर हमले से बचा ले। हमें उन अंधेरों से निकल लें।

कोराना से हम सब ने एक हद तक निपट लिया है। पर हमारे बच्चे खसरा जैसे बीमारी की चपेट में आ गए हैं। दुनिया में फिर से खसरा जैसी बीमारी ने धावा बोला है। आज फिर दुनिया के बच्चों की जिन्दगी खतरे में है।

कोविड 19 के कारण दुनिया में जो हालत हुए उससे टीकाकरण अभियान पर गहरा असर पड़ा। दुनिया की सरकारों ने बच्चों के भविष्य को नजरंदाज किया। आंकड़े कहते हैं दुनिया भर में खसरा बीमारी का खतरा बढ़ गया है।

डब्ल्यूएचओ और सीडीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार 2021 में दुनिया भर में लगभग 90 लाख खसरे के संक्रमण के मामले सामने आए और इस दौरान 128,000 मौतें हुईं। डब्लूएचओ और सीडीसी ने कहा कि 20 से अधिक देशों में चल रहे प्रकोप के अलावा, टीकाकरण में लगातार गिरावट, निगरानी की कमी और कोविड-19 के कारण टीकारण में देरी ने दुनिया के हर क्षेत्र में खसरा बीमारी का फैलाव बढ़ गया।

क्या इन मौत की जिम्मेदारी किसी की बनती है? ये अभियान क्यों रुका क्या इसका आंकलन सरकार को करना चाहिए? क्या बच्चों के लिए इस जरूरी कदम को जारी रखना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए थी ? अगर सरकार गंभीर रहती तो दुनिया के 4 करोड़ बच्चे खसरे के टीके से वंचित नहीं होते। आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि टीकाकरण के मामले में कितनी चूक हुई।

डब्लूएचओ और सीडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में दुनियाभर में लगभग 4 करोड़ बच्चे खसरे के टीके की खुराक नहीं ले सके। 2 करोड 50 लाख बच्चों ने अपनी पहली खुराक ही नहीं ली, जबकि 1 करोड़ 47 लाख बच्चों ने अपनी दूसरी खुराक मिस कर दी। इसका परिणाम ये हुआ है कि 22 देशों ने बड़े और भयंकर प्रकोप का सामना किया।

भारत जैसे देश में इस बीमारी का फिर लौटना हमारे बच्चों को गहरे खाई में धकेलना है। जो देश भूख, कुपोषण, गरीबी और अशिक्षा से जूझ रहा हो उस देश के बच्चों का स्वास्थ्य किसकी चिंता होगी? 

स्वास्थ्य मामलों के जानकार डॉक्टर ए.के गौड़ बताते हैं कि खसरा ज्यादातर सीधे संपर्क या हवा से फैलता है। खसरा होने पर बुखार, मांसपेशियों में दर्द और चेहरे और ऊपरी गर्दन पर त्वचा पर दाने जैसे लक्षण होते हैं। अधिकांश खसरे से संबंधित मौतें मस्तिष्क की सूजन और निर्जलीकरण सहित जटिलताओं के कारण होती हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों और 30 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों में गंभीर जटिलताएं सबसे गंभीर हैं। खसरे से होने वाली 95% से अधिक मौतें विकासशील देशों में होती हैं, इनमें ज्यादातर अफ्रीका और एशिया प्रमुख हैं। पहले , खसरे का प्रकोप हर दो से तीन साल में होता था और दुनिया भर में हर साल 26 लाख लोगों की मौत होती थी।

हाल में ही यूनिसेफ ने इस मुद्दे पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। यूनिसेफ की चिंता में आम लोगों का टीकाकरण पर घटता विश्वास है। उनका मानना है टीका के प्रति लोगों में फिर से विश्वास लाना होगा। उन्हें ये भरोसा देना होगा की इस बीमारी का एक मात्र इलाज टीका ही है। एमआर या एमएमआर का टीका लगाने का अभियान को और तेज करना होगा। ये इसलिए भी जरूरी है कि हम अपनी नस्लों को इस बीमारी से बचा सकें। आंकड़े बताते हैं कि देश के कई राज्यों में खसरा से बच्चों की मौत हुई है। महाराष्ट्र में खसरे के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। हम जानते हैं कोरोना महामारी के दौरान दुनिया भर में कई चीजें रुक गई थीं। जिससे बच्चों की जिन्दगी खतरे में पड़ गई है। 

कई देश जो खसरा को खत्म करने के करीब थे अब वहां इसका बड़ा प्रकोप देखा जा रहा है. 2016 के मुकाबले 2017 में खसरा का केस दुनिया के लगभग हर क्षेत्र में 30% बढ़े और 2022 आते आते इसमें और इजाफा हो गया। तो फिर इससे मुकाबला का और क्या रास्ता है। डॉक्टर कहते हैं टीकाकरण ही वो रास्ता है जिसके जरिए हम अपने बच्चों को बचा सकते हैं।यदि टीका लगाया गया होता, तो बीमारी को आबादी में फैलने से रोका जा सकता है।

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म्यांमार से ग्राउंड रिपोर्ट:तीन दिन से सेना का बड़ा मूवमेंट चल रहा था, अंदेशा था कि मिलिट्री कोई बड़ा कदम उठा सकती है https://dev.sawmsisters.com/%e0%a4%ae%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%b0-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%97%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%89%e0%a4%82%e0%a4%a1-%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%aa%e0%a5%8b/ Mon, 01 Feb 2021 13:54:59 +0000 https://sawmsisters.com/?p=3244 म्यांमार की मिलिट्री ने रविवार देर रात 2 बजे तख्तापलट कर दिया। देश में पिछले 10 साल से लोकतांत्रिक सरकार थी, जबकि इससे पहले 2011 तक यहां सैन्य शासन ही था। मिलिट्री के तख्तापलट के दौरान किसी मौत की खबर तो नहीं आई, लेकिन देश में 48 साल तक सैन्य शासन झेल चुकी म्यांमार की [...]]]>

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म्यांमार की मिलिट्री ने रविवार देर रात 2 बजे तख्तापलट कर दिया। देश में पिछले 10 साल से लोकतांत्रिक सरकार थी, जबकि इससे पहले 2011 तक यहां सैन्य शासन ही था। मिलिट्री के तख्तापलट के दौरान किसी मौत की खबर तो नहीं आई, लेकिन देश में 48 साल तक सैन्य शासन झेल चुकी म्यांमार की जनता इससे दुखी है। लोकप्रिय नेता और स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और प्रेसिडेंट विन मिंट समेत कई नेताओं को मिलिट्री ने अरेस्ट कर लिया है। म्यांमार में पिछले तीन दिन से सेना का बहुत बड़ा मूवमेंट चल रहा था। इसको लेकर अंदेशा भी था कि मिलिट्री कोई बड़ा कदम उठा सकती है।

तख्तापलट के बाद सेना ने म्यांमार में 1 साल के लिए इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है। अब सत्ता पूरी तरह सेना के हाथ में आ गई है। दुनिया के कई देशों ने इसकी निंदा की है। भारत ने भी हालात पर चिंता जताई है। सुबह लोगों को जब आधी रात को हो चुके सत्ता परिवर्तन के बारे में पता लगा, तो लोगों ने बाजारों में जाकर जमकर खरीदारी शुरू कर दी।

यह रिपोर्ट लिखे जाने तक आंग सान सू की की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की ओर से कोई अधिकृत बयान जारी नहीं किया गया है। हालांकि, पीपुल्स पार्टी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में सत्ता परिवर्तन का विरोध किया है।

आम जनता के पास अब तक जरूरी इन्फॉर्मेशन नहीं है। कोरोना महामारी के कारण देश में नौकरी और कारोबार पर काफी असर हुआ था। आर्थिक रूप से परेशान लोग धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। इस बीच म्यांमार में मिलिट्री शासन लगा दिया गया है। लोग व्यथित और गुस्से में हैं। म्यांमार की जनता चाहती है कि पॉलिटिकल चैनल से बातचीत शुरू की जाए।

हेत हेत कहती हैं, ‘हम लोग घरों में बैठे हैं। हमारे मोबाइल फोन नहीं चल रहे हैं। सिर्फ मिलिट्री टीवी खबरें दिखा रहा है। हमारे पास वाईफाई है इसलिए हम आपसे ( दैनिक भास्कर) बात कर पा रहे हैं। इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है, इसलिए काफी खबरें हमें मिल नहीं रही हैं। आगे क्या होगा यह कहना मुश्किल है।’

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गाज़ीपुर बार्डर का एक दृश्य https://dev.sawmsisters.com/%e0%a4%97%e0%a4%be%e0%a4%9c%e0%a4%bc%e0%a5%80%e0%a4%aa%e0%a5%81%e0%a4%b0-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a1%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%8f%e0%a4%95-%e0%a4%a6%e0%a5%83%e0%a4%b6/ Mon, 25 Jan 2021 08:06:19 +0000 https://sawmsisters.com/?p=3189 गाज़ीपुर बॉडर से. बॉर्डर से करीब एक किलोमीटर पहले गाड़ी छोड़ दी. पुलिस बैरीकेट लगा है. वहां से पैदल मंच तक जाने के लिए रास्ता सीधा है]]>

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निवेदिता

गाज़ीपुर बॉडर से. बॉर्डर से करीब एक किलोमीटर पहले गाड़ी छोड़ दी. पुलिस बैरीकेट लगा है. वहां से पैदल मंच तक जाने के लिए रास्ता सीधा है. इस रास्ते पर कई बार आये हैं पर इसबार का दृश्य आंखों में बस गया है. सर्द हवा की तेज़ लहर मेरे कपड़े को भेदकर मुझ तक पहुंच रही है. मैंने कस कर गर्म शॉल अपने चारों तरफ लपेट लिया है. खुली सड़क पर लोग बैठे हैं. कई रंगकर्मियों की टोली किसान आंदोलन के समर्थन में पहुंची हुई है. खचाखच भरे चाय और रोटी की लंगर जगह जगह लगी है. मैं उनसे बात करने की कोशिश करती हूं. एक 22 साल का नौजवान है उसके साथ कई साथी हैं. वे सब लंगर की तैयारियां कर रहे हैं. रात के भोजन के लिए सब्जियां और अलॉव पर रोटियां सेकी जाएंगी. हर रोज हजारों लोग लंगर में खाते हैं. आस पास मजदूरों की बस्तियां हैं. वे सब लंगर में ही खाते हैं. तोंद वाला पुलिस भी वही खाकर गया है. कई पुलिस वाले वहां जमे हुए हैं. मैंने उस नौजवान से पूछा कब से यहां हैं आप? माफ़ कीजिएगा ,क्या पूछा आपने? मैंने सवाल दुहराया. अब तो बहुत दिन हो गए यहां. आपकी पढ़ाई को नुकसान नहीं हो रहा है? हमारे खेत ही नहीं रहेंगे तो पढूंगा कहां से? हमारे घर में सब किसान हैं. हमारी रोज़ी रोटी का वहीं जरिया है.  पिछले दो दिनों से काफी ठंड पड़ रही है. किसान यहां से शहर की तरफ ना जा सकें इसलिए पूरा इलाका पुलिस छावनी में बदल गया है. बाहरी दुनिया से इनका पूरी तरह से संपर्क काट दिया गया है. सड़कों को पार करते हुए मैं स्टेज़ के पास हूं. 1960 के दशक में कुछ गानों पर किसानों के सवाल पर गीत गाए जा रहे हैं. जोशीले गीत और नारे से सड़क गूंज रही है. एक प्यारी सी नौजवान लड़की गा रही है. उसका सुनहरा गोरा रंग उसकी चमकती हुई अपनेपन से भरी, खुली निगाह जैसे आत्मा को रंग देगी. वो गा रही है, शब्द भीग रहे हैं. फैज़ साहब की नज़्म तानाशाह को चुनौती दे रही है

बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे

बोल ज़बाँ अब तक तेरी है

तेरा सुतवाँ जिस्म है तेरा

बोल कि जाँ अब तक् तेरी है

देख के आहंगर की दुकाँ में

तुंद हैं शोले सुर्ख़ है आहन

खुलने लगे क़ुफ़्फ़लों के दहाने

फैला हर एक ज़न्जीर का दामन

बोल ये थोड़ा वक़्त बहोत है

जिस्म-ओ-ज़बाँ की मौत से पहले

बोल कि सच ज़िंदा है अब तक

बोल जो कुछ कहने है कह ले

संस्कृतिक आयोजन खत्म हुआ. अलग अलग संगठन के लोग किसानों के साथ मिल रहे हैं. अपना समर्थन दे रहे हैं. पंजाब के बड़े गायकों की टीम पहुंची हुई है.बाबा फरीद और बुल्लेशाह के गीत गाए जा रहे हैं. धूप अब उतर रही है. हवा के साथ सूरज की किरणें हल्की आभा बिखेर रही है. एक बुजुर्ग अपने तंबू में बैठे हैं. आप कब तक रहेंगे यहां बाबा? बिटिया वाहे गुरु जबतक रखे. उन्होंने कभी इतना बड़ा इम्तहान नहीं लिया था. हम तो तब तक नहीं जाएंगे जबतक तीनों कानून रद्द नहीं होगा. अगर रद्द नहीं हुआ तो ? तो यही मर जाएंगे. वापस नहीं जाएंगे . करतार सिंह  का वादा है बिटिया. अंग्रेज़ गए तो इस सरकार को भी जाना होगा. हम दूसरी आजादी की लड़ाई लड रहे हैं..मैं 80 साल के बाबा करतार सिंह को सलाम करती हूं. उनकी उम्मीद को सलाम करती हूं.बाहर निकल कर गाड़ी में बैठ गई. खिड़की के बाहर तेज़ हवा और धुंध में उठते हुए घुएं की पतली, थरथराती लकीरों को देख रही हूं. दूर तक नारे गूंज रहे हैं और मेरी आंखे भीग रही है.

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यही मर जाएंगे पर वापस नहीं जाएंगे https://dev.sawmsisters.com/%e0%a4%af%e0%a4%b9%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a4%b0-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%8f%e0%a4%82%e0%a4%97%e0%a5%87-%e0%a4%aa%e0%a4%b0-%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%aa%e0%a4%b8-%e0%a4%a8%e0%a4%b9%e0%a5%80%e0%a4%82/ Fri, 22 Jan 2021 12:53:39 +0000 https://sawmsisters.com/?p=3175 पौ फटने पर हवा के हल्के झोंके खाली सड़कों पर पंखा झलते हैं. कहीं किसी पेड़ की परछाइयां नहीं है. मोटर और गाड़ियों का शोर सड़क के काफी पहले से थम गई हैं.]]>

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सिंघु बॉर्डर से . पौ फटने पर हवा के हल्के झोंके खाली सड़कों पर पंखा झलते हैं. कहीं किसी पेड़ की परछाइयां नहीं है. मोटर और गाड़ियों का शोर सड़क के काफी पहले से थम गई हैं. धूल की परत  सूरज के सुनहरे आलोक में से छनकर सड़कों पर छा गई है ,जहां औरतों और मर्दों की भारी भीड़ है. धीमी आवाजें, कही तेज़ आवाज और असंख्य जूतों की पदचाप से ये पता लगाना आसान नहीं है कि सिंघु बॉर्डर पर कुल कितने किसान जमा हैं. महिलाओं और बच्चों का हुज़ूम. हर उम्र की औरतें. तख्तियां , पोस्टर, किताबें लिए ये औरतें जिन्दगी के लिए लड रही है. बड़े से शामियाने में हजारों की तादाद में औरतें जमा है.  मैं देख रही हूं उन औरतों को जो अपने घर बार छोड़कर सड़कों पर लड रही है. ये थका देने वाला समय है., ठंडी और तेज़ हवा से बचने के लिए पुआल डालकर जगह जगह तंबू बने हैं जो इन औरतों का घर बन गया है. मैं मिली हरजीत कौर से. चेहरे पर पड़ी झुर्रियां जैसे बीते समय का गवाह हो. अम्मा आप कितने साल की हैं? पता नहीं बिटिया . कमबख्त जिन्दगी की इतिहास में कोई जगह नहीं है. जिस साल देश आजाद हुआ मैं दस साल की थी. तुम जोड़ कर पता कर लो मैं कितने साल की हूं.  यहां क्यों आई हैं अम्मा? उनकी आंखें चमकती है. मेरा पोता आया यहां. हमने कहां मुझे भी ले चलो. अपने खेत को हमें भी बचाना है. मोदी सरकार को बेचने नहीं देंगे देश. अम्मा सुप्रीम कोर्ट कहती है कि इस आंदोलन से बच्चों और बुजुर्गो को अलग करना है – ये कौन हैं हमें नसीहत देने वाले. हम तो यहीं रहेंगे ,अगर किसान विरोधी बिल वापस नहीं हुआ तो यही मर जाएंगे बिटिया पर वापस नहीं  जाएंगे. मैं उनकी लरजती आवाज सुन रही थी और सोच रही थी कि आजादी का ये दूसरा आंदोलन है.  अम्मा की उम्र की कई औरतें इस कड़ाके की ठंड में अपने हक़ के लिए लड रही है. मैं हैरान हूं. यहीं तो हैं असली किसान महिलाएं. जिनके हाथों में देश की रोटी सुरक्षित है. शाम ढलने लगी, आसमान में तिरते उजाले अब खो गए हैं. पल पल बढ़ती हुई तेज़ बहशी हवा ने भी इस उम्र में संघर्ष कर रही औरतों को सलाम किया. कई जोड़े हाथ हवा में लहराए – मुट्ठियां तनी – लड़ेंगे – जीतेंगे. दूर ढोलक की थाप पर गाने को आवाज आ रही है….  मैं स्वर लहरियों में डूब रही हूं.

हुण मैं अनहद नाद बजाया,

तैं क्यों अपणा आप छुपाया,

 

नाल महिबूब सिर दी बाज़ी,

जिसने कुल तबक लौ साजी,

मन मेरे विच्च जोत बिराजी,

आपे ज़ाहिर हाल विखाया.

हुण मैं अनहद नाद बजाया.

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उनकी आंखों में देश के खेत और खलिहान हैं! https://dev.sawmsisters.com/%e0%a4%89%e0%a4%a8%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%86%e0%a4%82%e0%a4%96%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%a6%e0%a5%87%e0%a4%b6-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%96%e0%a5%87%e0%a4%a4-%e0%a4%94/ Fri, 22 Jan 2021 12:36:12 +0000 https://sawmsisters.com/?p=3164 संघर्ष कोई शब्द है तो किसानों के आंदोलन को देखना चाहिए। किस तरह वे ठंडे आसमान के नीचे सड़कों पर बुल्लेशाह को गाते हैं]]>

सिंघु बॉर्डर से. संघर्ष कोई शब्द है तो किसानों के आंदोलन को देखना चाहिए. किस तरह वे ठंडे आसमान के नीचे सड़कों पर बुल्लेशाह को गाते हैं. मैं उनकी आंखों में देश के खेत खलिहान देख पा रही हूं. मैं देख रही हूं मां और उस नन्हें बच्चे को जो सर्द रात में पुआल की गर्मी से खुद को ठंड से बचा पा रही हैं. 84 साल की उम्र में वे अपने वाहे गुरु को याद करते हुए कहते हैं – बिटिया हक़ ले कर जाएंगे. लोग उन्हें करतार सिंह के नाम से जानते हैं. अमृतसर से आएं हैं और 55 दिनों से सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं. 5 साल के बच्चे सोनू से मिलती हूं. हाथों में तख्तियां लिए नारा लगाता है. मैं पूछती हूं बच्चे तुम क्यों आएं यहां ? हक़ के लिए! मैं देखती हूं उसे. इस उम्र में वह हक़ के मायने जान गया है. मैं फिर पूछती हूं कौन सा हक़ ? बच्चा हंसता है और मेरी आंखों में आंखें डाल कहता है – रोटी का हक़. मेरी आंखें नम है. सोचती हूं आजादी के आंदोलन के बाद जो आंदोलन इतिहास में दर्ज होगा और लोग जिसे याद करेंगे वह होगा किसानों का आंदोलन. लोग जानेंगे तानाशाह के सामने वे झुके नहीं. वे जानेंगे कैसे अपनी मिट्टी से मुहब्बत करने वाली कौम जिन्दा है.

वे खेतों से मुहब्बत करते हैं, वे रोटी से मुहब्बत करते हैं और पूरे देश को रोटी खिलाते हैं. उनकी आवाज आपके दिल को छूती है और तानाशाह की नींद हराम करती है. अगर आपको देश की आजादी,स्वाधीनता और जनतंत्र के सही मायने जानने हों तो आप किसानों के आंदोलन को देखें, समझे. . मुझे उनके शक्ल में अपना खेत, फसल और अपनी मिट्टी की खुशबू मिलती है. भगत सिंह , अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ उनके बीच मौजूद हैं. गुरु नानक, गांधी, बुल्लेशाह मौजूद हैं. वे जानते हैं लड़ाई आसान नहीं है. वे जानते हैं अपनी फसलों का मोल. वे समझते हैं कैसे इस देश के किसानों को अंबानी, अडानी के हाथों बेचने की पूरी तैयारी है. मैं उनके बीच हूं और नारो की गूंज से धरती हिल रही है. . बुल्ले शाह के बोल रस घोल रहे हैं

आओ फकीरो मेले चलीए,
आरफ का सुण वाजा रे.
अनहद शब्द सुणो बहु रंगी,
तजीए भेख प्याज़ा रे.
अनहद वाजा सरब मिलापी,
नित्त वैरी सिरनाजा रे.
मेरे बाज्झों मेला औतर,
रूढ़ ग्या मूल व्याजा रे.
करन फकीरी रस्ता आशक,
कायम करो मन बाजा रे.
बन्दा रब्ब भ्यों इक्क मगर सुक्ख,

जारी…

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